Sunday, July 17, 2011

...तो गुर्जर मेलों को आंदोलन में बदल दूंगा : बैसला

समझौता वार्ता में शामिल रहे गुर्जर प्रतिनिधियों से की मीटिंग

(हिंडौनसिटी-करौली जिला). कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला ने सरकार को चेतावनी दी है कि गुर्जरों से किए समझौते को सरकार ने जल्द पूरा नहीं किया तो प्रदेशभर में हो रहे गुर्जर मेलों को आंदोलन में बदल दूंगा। सरकार को अब तक गुर्जर आंदोलनों से यह जान लेना चाहिए कि गुर्जर किसी भी मौसम में आंदोलन कर सकते हैं। 
बैसला रविवार को समझौता वार्ता में शामिल रहे गुर्जर प्रतिनिधियों को अपने वर्धमान नगर स्थित आवास पर बुलाया और कई प्रतिनिधियों से दूरभाष पर राय जानी। शाम को मीडियाकर्मियों को बैसला ने बताया कि सरकार और गुर्जरों के बीच विश्वसनीयता की जो कड़ी जुड़ी थी, वह सरकार के रवैये के कारण खत्म हो रही है। 6 महीने पहले हुए समझौते में सरकार ने गुर्जरों की मांग पूरी करने के लिए तीन महीने का समय मांगा था, किंतु गुर्जरों ने सरकार को 6 माह का वक्त दिया था। इसके बाद सरकार अब 6 माह का और समय मांग कर गुर्जरों के साथ विश्वास की कड़ी को खत्म कर रही है।  इस शिक्षा सत्र में गुर्जर विद्यार्थियों को पांच प्रतिशत का लाभ नहीं मिल पाया तो अगले सत्र में वह लाभ स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। बैसला के आवास पर मीडियाकर्मियों से वार्ता में गुर्जर प्रतिनिधि हिम्मतसिंह दौसा, हरप्रसाद तंवर, श्रीराम बैसला, भूरा भगत, प्रतापसिंह घाटरा, बंटी भरतपुर, दीवानसिंह बयाना, जीतू तिघरिया आदि मौजूद थे। 
इन मेलों को बदल सकते हैं
कर्नल बैसला ने जिन गुर्जर मेलों को आंदोलन में बदलने की सरकार को चेतावनी दी है, उनमें टोंक जिले में सावन के बाद पंचमी को जोधपुरिया मेला और धौलपुर जिले में भादो के महीने की दूज को जुडऩे वाला बाबू महाराज का प्रसिद्ध मेला है। इनमें प्रदेश भर के पांच लाख से ज्यादा गुर्जर भाग लेते हैं। आरक्षण संघर्ष समिति के हिम्मतसिंह दौसा ने बताया कि इसके लिए गुर्जर प्रतिनिधियों द्वारा जिला स्तर पर गुर्जरों की पंचायत की जा रही है।
सीएम इरादा बताएंगे, तब वार्ता
कर्नल बैसला ने खुलासा किया कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात करने को तैयार हैं। बात से उन्हें परहेज नहीं है। लगभग सभी गुर्जर प्रतिनिधियों ने उन्हें एक बार बात करने का सुझाव दिया है। बैसला ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से तभी बात करेंगे, जब मुख्यमंत्री पहले बातचीत के बारे में अपना इरादा जाहिर करें ताकि गुर्जरों और सरकार के बीच बनीं विश्वसनीयता की कड़ी बनीं रहे।
(करौली भास्कर से साभार)

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