Saturday, April 17, 2010

गुर्जर शांत रहें, आरक्षण के लिए कमेटी बने : हाईकोर्ट

 मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार को हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश
जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने गुर्जरों के आरक्षण मामले में चल रहे आंदोलन के संबंध में गुर्जर समुदाय के नेताओं से कहा है कि वे कानून हाथ में न लें और ध्यान रखें कि आमजन को किसी तरह की असुविधा न हो। साथ ही मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार को हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का भी निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जगदीश भल्ला व न्यायाधीश एम.एन.भंडारी की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश शुक्रवार को अजमेर निवासी जे.पी.दाधीच की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कहा कि जानकारी मिली है कि किन्हीं जगहों पर सड़कों को बाधित किया जा रहा है और यदि ऐसा है तो सरकार कानूनी प्रावधानों के आधार पर आवश्यक कदम उठाते हुए कार्रवाई करे। इस पर सरकार के महाधिवक्ता जी.एस.बापना ने कहा कि आंदोलन के दौरान किन्हीं भी परिस्थियिों से निपटने के लिए राज्य सरकार ने पर्याप्त इंतजाम कर रखे हैं।
उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश 
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने गुर्जरों के आरक्षण के मसले पर आंदोलन संबंधी मामले के   निपटारे के लिए राज्य सरकार को हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सेवानिवृत्त न्यायाधीश के अलावा कमेटी में अफसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, बार के सदस्यों, सांसद व विधायक व अन्य उचित लोगों को शामिल करे। यह कमेटी आंदोलन के समाधान के लिए सभी विकल्प तलाशें और गुर्जर आंदोलन से जुड़े नेताओं के साथ चर्चा कर जैसा उचित हो वैसे मामले का निपटारा करे। तब तक गुर्जर समुदाय के लोगों से उम्मीद है कि वे कानून को अपने हाथ में नहीं लें। गौरतलब है कि जनहित याचिका में गुर्जर महापड़ाव के दौरान जनता व सार्वजनिक सम्पत्ति की गुहार की गई थी। याचिका में कहा गया था कि पूर्व के आंदोलन में कई लोगों की जानें गई थीं और सार्वजनिक सम्पत्ति की हानि हुई थी। इसलिए राज्य सरकार आंदोलन से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम करे।
नौकरियां सुरक्षित रख सकती है सरकार
राज्य सरकार ने 80 हजार भर्तियों में  विशेष पिछड़ा वर्ग का पांच प्रतिशत आरक्षण अलग रखने की मंशा जताई है। सरकार का कहना है कि  विशेष पिछड़ा वर्ग के पांच प्रतिशत आरक्षण का मामला न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए उसमें कोई भी परिवर्तन करना संभव नहीं है।  सरकारी प्रवक्ता के अनुसार गुर्जर नेताओं की 50 प्रतिशत की सीमा में ही पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग ने इस मानसिकता को दर्शा दिया है कि वे आरक्षण के लिए पूर्व में पारित विधेयक, जिसे पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में पारित करवाया गया था, को ठुकरा रहे हैं। यह नया नजरिया अचानक किसके इशारे पर व कैसे उभरा, जबकि विधेयक पारित होने से लेकर राज्यपाल के हस्ताक्षर और अधिसूचना जारी होने तक  भाजपा के नेता और आंदोलनकारी सरकार पर दबाव बनाते रहे हैं। मामला कोर्ट में होने के कारण विशेष आरक्षण संबंधी विधेयक में परिवर्तन संभव नहीं है।
प्रवक्ता के अनुसार वर्तमान सरकार ने इस संबंध में विधानसभा से पारित विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर होने के तुरन्त बाद ही अविलम्ब तत्संबंधी अधिसूचना जारी कर दी। लेकिन हाईकोर्ट से लगी रोक के कारण राज्य सरकार अगली कार्रवाई करने में असमर्थ हो गई। इस मामले में राज्य सरकार प्रभावी पैरवी कर गुर्जरों सहित रेबारी, बंजारा व गाडिया लोहारों को आरक्षण का लाभ दिलाने के हर संभव प्रयास कर रही है। ऐसे में इन भर्तियों को रोकना न्याय संगत नहीं माना जा सकता।
पिछली सरकार ने गुर्जर नेताओं से समझौते के बाद आरक्षण सम्बन्धी बिल में विशेष पिछड़ा वर्ग को 5 प्रतिशत आरक्षण के साथ आर्थिक आधार पर 14 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान जोड़ा था। सरकार एवं गुर्जर नेताओं को भी मालूम था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप 50 प्रतिशत से आरक्षण अधिक हो ही नहीं सकेगा फिर भी ऐसा विधेयक क्यों पारित करवाया। वर्तमान सरकार ने शासन में आते ही विशेष पिछड़ा वर्ग के आरक्षण सम्बन्धी मसले को सुलझाने के लिए पूर्ण गम्भीरता दिखाई।
मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं : बैसला
गुर्जर आरक्षण के लिए कमेटी बनाने के अंतरिम आदेश पर बैसला ने कहा है यह सरकार और हाईकोर्ट की मिलीभगत है। ताकि गुर्जरों के आरक्षण के मुद्दे को टाला जा सके। उन्होंने गुर्जरों से कहा है कि वे जयपुर कूच न करें। जो जहां है, वहीं पड़ाव डाल दे। बैसला ने देर रात भास्कर से बातचीत में कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश का  सम्मान करते हैं। लेकिन वे यह भी कहना चाहते हैं कि गुर्जरों के संबंध में पूर्ववर्ती सरकार ने जस्टिस चौपड़ा कमेटी बनाई थी। फिर अब नई कमेटी बनाने का क्या औचित्य है। राज्य सरकार द्वारा विशेष पिछड़ा वर्ग के 5 प्रतिशत आरक्षण को अलग रखते हुए 80 हजार भर्तियां करने के सवाल पर बैसला ने कहा कि हमें मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं रहा।
(दैनिक भास्कर से साभार)

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