Thursday, April 01, 2010

गुर्जरों के लिए नौकरी सुरक्षित

महापड़ाव खत्म सरकार सात दिन में 5' आरक्षण सुरक्षित करेगी, ओवरएज हो रहे युवकों को भी मिलेगा मौका, तब तक गुर्जरों का क्रमिक अनशन जारी रहेगा
जयपुर/अजमेर. सरकार की ओर से गुर्जर, रेबारी, बंजारा और गाडिय़ा लुहारों को 5 प्रतिशत आरक्षण का आश्वासन देने के बाद बुधवार को अजमेर में गुर्जरों ने महापड़ाव को खत्म कर दिया है। सरकार सात दिन में यह प्रक्रिया पूरी करेगी। तब तक गुर्जरों  का क्रमिक अनशन जारी रहेगा। सरकार की ओर से भर्तियों में 5' नौकरियां सुरक्षित रखने और ओवरएज होने वाले युवकों को उम्र में छूट का लाभ देने का आश्वासन भी दिया गया है। गुर्जर नेता  किरोड़ीसिंह बैसला ने सरकार के साथ सहमति की पुष्टि की। बैसला ने कहा है कि एक हफ्ते में उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो प्रदेश भर के गुर्जर मैदान में आ जाएंगे। बैसला ने महापड़ाव स्थल पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंगलवार की रात हुई बातचीत में मिले आश्वासनों का खुलासा किया। उन्होंने महापड़ाव में आए लोगों से घर जाने और खेतों में काम करने की सलाह दी। संभागीय आयुक्त अतुल शर्मा ने भी महापड़ाव स्थल पर बैसला और सरकार के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा दिया।
हम पर ही अड़ंगा क्यों : बैसला
मुख्यमंत्री मांगों से सहमत हैं? 
जी हां। उन्होंने ऐसा कहा है।
सहमति किन बिंदुओं पर बनी? 
एक ही मांग है 5' आरक्षण दे दो।
क्या अलग आरक्षण बिल आएगा?
सरकार जाने या हाईकोर्ट।
राज्य में पहले ही 49' आरक्षण है। गुर्जरों को 5' कोटा दिया तो 50' की सीमा तो पार हो ही जाएगी?
अडंग़ा ही लगाना है तो दूसरी बात है। आप चाहे जिसमें अड़ंगा लगा दें। काका कालेलकर ने 56 में, लोकोर ने 65 में, चौपड़ा ने २०07 में अत्यंत पिछड़ों को आरक्षण दिया। कानून बनाया। गजट निकला। नियम बने। 45 दिन विशेष पिछड़ा कहा गया। कोटा फिर भी नहीं।
लेकिन इस पर कोर्ट की रोक है?
जब से आरक्षण लागू हुआ है तब से किसी ने, किसी के आरक्षण पर कोई रोक नहीं लगाई। कभी किसी जाति को दिया तो कभी किसी को। किसी ने नहीं देखा कि कौन संपन्न और कौन बदहाल? फिर हमारे साथ ही यह सब क्यों? अगर हम डिजर्व करते हंै तो दे दो। नहीं करते हैं तो वैसा कह दो। साफ-साफ क्यों नहीं कहना चाहते?
विशेष पिछड़ों के लिए विधेयक कब पेश किया जाएगा? 
मुझे पता नहीं।
अनुसूची में जोडऩे का क्या हुआ?
कहा तो था कि चि_ी चली गई है, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
जीत आपसे कितनी दूर है?
इस बारे में कौन बता सकता है? अगर कोई देना चाहे तो कल भी दे सकता है। इच्छाशक्ति की बात है। नहीं देना चाहे तो कितने ही साल लग सकते हैं।
(दैनिक भास्कर से साभार)

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