Tuesday, May 01, 2012

अपने लिए नहीं, समाज के लिए लड़ रहा हूं

सेंती के देवनारायण मंदिर परिसर में समाज की मीटिंग में बोले बैसला

चित्तौडग़ढ़.  मैं यह लड़ाई अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए लड़ रहा हूं। मेरे जीवन का एक मात्र मकसद गुर्जर समाज को विशेष आरक्षण दिलाना है।
यह बात गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक व अध्यक्ष कर्नल किरोडीसिंह बैंसला ने 29 अप्रैल को सेंती स्थित देवनारायण मंदिर परिसर में समाज की मीटिंग को संबोधित करते हुए कही। पहली बार यहां आए कर्नल बैंसला ने अभिनंदन के बाद कहा कि समाज का प्यार, अपनत्व यहां खींच लाया। हमारी जाति के एसपी, कलेक्टर नहीं है। मुझे कोई चुनाव नहीं लडऩा है। समाज सेवा कोई अहसान नहीं है। समाज ने मुझे मां और जड़ दी है। चुनाव में हमें क्या करना है, समय आने पर बता दिया जाएगा। वोट डालने के लिए समय बहकाने वाले भी आएंगे, ध्यान रखना। शेष त्न पेज १२

गुर्जर नेता किरोड़ीसिंह बैंसला ने दी 15 मई बाद फिर आंदोलन की चेतावनी

गुर्जर समाज अपने वाजिब हक के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन उसे बेवजह इंतजार कराया जा रहा है। समाज को अभी तक कोई विशेष फायदा नहीं हुआ है। इसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह दोषी है। अगर 15 मई तक न्याय नहीं मिला तो समाज वापस आंदोलन शुरू कर देगा। हम आंदोलन के शौकीन नहीं है, लेकिन अगर कोई नहीं सुनेगा तो आवाज बुलंद करनी ही होगी।

यह बात गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक व अध्यक्ष कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला ने 29 अप्रैल को सर्किट हाऊस में मीडियाकर्मियों से कही। बैंसला ने कहा कि समाज ने आंदोलन किए, इतने समझौते हुए, इसके बाद भी कोई विशेष फायदा नहीं हुआ। मात्र एक प्रतिशत लाभ देने में भी कोताही बरती जा रही है। सरकारी रिकार्ड में भी हेराफेरी हो जाती है। सरकार में राजनीतिक विल पावर नहीं है। सिर्फ दूसरे को खुश करने के लिए गुर्जर समाज के साथ अन्याय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2011 में आंदोलन के बाद फिर समझौता हुआ और तीन माह का समय दिया गया। तीन से छह और अब 15 माह हो गए, कुछ नहीं हुआ। अब यह जिंदा कौम इंतजार नहीं कर सकती। समाज शांति और प्रदेश का विकास चाहता है, लेकिन सरकार को ही इसकी परवाह नहीं है।

उन्होंने आरक्षण की लड़ाई में भाजपा व कांग्रेस से जुड़े जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित करते हुए कहा कि गुर्जर समाज के साथ ही गाडिय़ा लौहार, बंजारा, रेबारी आदि जातियों को लाभ नहीं मिल पाया। असमानता ही विद्रोह का कारण होता है। एक विशेष वर्ग को सातवीं मंजिल पर बिठाया जा रहा है तो दूसरे को तहखाने में। ये कौन सा न्याय है। आज भी आईपीएस, डाक्टर सहित कई उच्च पदों पर समाज के लोग नहीं पहुंच पाए। इस दौरान उपाध्यक्ष कैप्टन हरिप्रसाद तंवर, आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय सचिव मान्धातासिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता एडवोकेट अतरसिंह मौजूद थे।

अब मीठारामजी का खेड़ा आऊंगा

किरोडीसिंह बैंसला का देवनारायण मंदिर पर समाज के कई बुजुर्गों ने स्वागत किया। एक बुजुर्ग हजारीलाल को देख कर उनका निवास स्थान पूछा। हजारी गुर्जर ने कहा कि वह मीठारामजी का खेड़ा में रहते हैं और वहां भी गुर्जर समाज के कई घर हैं तो बैंसला ने कहा कि अगली बार वह मीठारामजी का खेड़ा में आकर समाज के घरों में जाएंगे।

मेरा किसी पार्टी से संबंध नहीं

किरोडीसिंह बैंसला ने कहा कि उनका अभी किसी भी पार्टी से कोई संबंध नहीं है। जो हमारी देखभाल करेगा, हम उसकी देखभाल करेंगे।

गुर्जरों को लेबोरेट्री बना दिया

गुर्जर आरक्षण आंदोलन में शुरू से कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला के साथ चल रहे संघर्ष समिति उपाध्यक्ष कैप्टन हरिप्रसाद तंवर ने कहा कि सीएम ने गुर्जरों को एक तरह से लेबोरेट्री बना कर रखा है। जब सरकार चाहती है तब इस समाज पर परीक्षण करा दिया जाता है। जब उत्तरप्रदेश में मुस्लिम को एक दिन में आरक्षण देने का निर्णय हो सकता है तो फिर यहां इतना समय क्यों लग रहा है।

एक रात सीएम और मंत्री बिताए हमारी बस्तियों में

कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला ने कहा कि वे समाज में परिवर्तन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। वे अपनी जाति सहित गाडिय़ां लौहार, बंजारा, रेबारी जातियों के लोगों के साथ समय व्यतीत करते हैं। मुख्यमंत्री और मंत्री एक दिन इन समाजों के घरों में बिता कर देखे। पता चला जाएगा कि समाज किस स्थिति में जीवनयापन कर रहा है।
(source: dainikbhaskar.com)

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