राजस्थान के इतिहास मैं आजादी के बाद का पहला इतना बड़ा आन्दोलन करने के बाद गुर्जर समाज जिस तरह से बिखरा, याद करते ही मन भर आता है, जिन लोगों ने हमारे बच्चों के भविष्य के लिए जान दे दी, हम उन्हें ही भूल कर अपने -अपने स्वार्थों मैं फँस गए। नतीजा सामने है. राजस्थान विधानसभा के चुनावों मैं हमारे समाज के ज्यादातर लोगों को हार का सामना करना पड़ा. वजह भी हमारे लोग ही रहे. किसको दोष दें. किसी के लिए समाज से बड़कर पार्टी हो गयी तो कोई अपने को समाज से ही ऊपर समझाने लगा. टिकट क्या दिखा समाज के प्रत्याशी के सामने ही ताल ठोंक दी. दी हम तो डूबेंगें सनम तुम्हें भी ले डूबेंगें वाली बात कर दी. जो बीत गया उसे बिसार कर अब तो एक जाजम पर आओ. व्यक्तिगत आग्रह छोडो और समाज हित पर ध्यान दो. वक़्त निकल जायेगा. बाद मैं यह सोचते रह जाओगे कि उस समय चेत जाते तो अच्छा था. इसलिए मेरा तो यही कहना है कि बोल दो देवनारायण की जय. गूंजने दो गोठों के स्वर. सुनने दो सरकार को. बगडावतों जाग जाओ.
शिवराज गूजर
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