गुड़गांव. देश ही नहीं विदेश में भी अपनी बेहतरीन स्पोर्ट्स पॉलिसी के लिए प्रसिद्ध राज्य हरियाणा। खिलाड़ियों को लाखों-करोड़ों रुपए के नकद पुरस्कार देने वाला राज्य हरियाणा। अन्य प्रदेशों के मुकाबले शानदार खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने वाला राज्य हरियाणा। पिछले चार-पांच सालों में ही हरियाणा ने ये तमगे हासिल किए हैं, लेकिन इस प्रसिद्धि के बावजूद भी कहीं न कहीं कुछ कमी है कि माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली सुनीता चौकन जैसी खिलाड़ी को भी सरकार ने अभी तक कोई प्रोत्साहन नहीं दिया है। सरकार की अनदेखी के चलते 25 लाख रुपए का कर्ज लेकर माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली सुनीता का हौसला अब टूटने लगा है। हालात तो ऐसा भी संकेत करने लगे हैं कि सुविधाओं और प्रोत्साहन के अभाव में कहीं एक और बेहतरीन खिलाड़ी अपनी सफलता के चरम पर पहुंचने से पहले ही इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर न रह जाए।
माउंट एवरेस्ट फतेह करने के बाद सुनीता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उम्मीद थी कि अब तो कहीं ना कहीं उसे सरकारी नौकरी मिल ही जाएगी या कोई प्राइवेट स्पांसर मिल जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ ना हो सका। बुधवार को गुड़गांव के नेहरू स्टेडियम पहुंची सुनीता सरकार द्वारा की गई अनदेखी के कारण काफी निराश दिखी। सुनीता ने बताया कि एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले उसके साथ चढ़े अन्य चार साथियों को सरकार ने तीन-तीन लाख रुपए दिए। उसने उन्हीं की तरह सरकारी सहायता के लिए अप्लाई किया था, लेकिन दरकिनार कर दिया गया। इरादे मजबूत थे कि सफलता प्राप्त करने के बाद प्रोत्साहन जरूर मिलेगा।
सफलता तो हाथ लगी, लेकिन प्रोत्साहन नहीं मिला। सुनीता का कहना है कि मैं सरकारी दफ्तरों के बहुत चक्कर काट चुकी हूं, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला। अब मैं किसी के पास कुछ मांगने नहीं जाऊंगी। सरकार कुछ सम्मान देती है तो वह मेरे लिए बड़ी बात होगी। मुझे अब किसी प्राइवेट स्पांसर का इंतजार है। कोई मेरे आगे के अभियान को स्पांसर करता है तो आगे भी हार नहीं मानूंगी। भले ही सुनीता सरकार के खिलाफ खुलकर बोलने के बचती रही, लेकिन यह जरूर कहा कि सरकार को चाहिए की वो एक सिस्टम बनाए जिसमें किसी खिलाड़ी की अनदेखी न हो।
(http://www.bhaskar.com/article/HAR-OTH-spirit-of-the-breakdown-2345730.html?HFS-5)
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