समन्वय समिति ने ज्ञापन में कहा है कि इसी साल जनवरी में हुए समझौते में सरकार ने 5 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के लिए सर्वे के नाम पर छह माह का समय मांगा था। छह माह व्यतीत हो गए, लेकिन अभी तक सर्वे शुरू ही नहीं हुआ है। नौकरियों में हालांकि उन्हें 1 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, लेकिन वास्तविक रूप से इसका लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह यह है कि सरकार जिला स्तर पर टुकड़ों में भर्तियां निकाल रही है। ज्ञापन देने वालों में मानसिंह गुर्जर (गंगापुरसिटी), महेंद्रसिंह खेड़ला (दौसा), जवाहर सिंह बेढम (भरतपुर), पहलवान वीर सिंह (खेतड़ी झुंझुनूं), रामकिशन गुर्जर (केकड़ी-अजमेर) और दुर्ग सिंह अंदाना (धौलपुर) शामिल थे।
सरकार से वार्ता आज
सरकार ने गुर्जर प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए शनिवार को जयपुर बुलाया है। आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता डॉ. रूपसिंह के अनुसार वार्ता शनिवार दोपहर 12.30 बजे सचिवालय में होगी।
5वीं बार होगा समझौता
गहलोत सरकार ढाई साल में गुर्जरों के साथ पांचवीं बार समझौता करेगी। पहला समझौता जुलाई, 2009 में किया था, जब गुर्जरों ने पेंचला (हिंडौन) में पड़ाव डाला था। अप्रैल 2010 में दूसरा समझौता, जब गुर्जरों ने गुडला से सिकंदरा तक पैदल मार्च किया। तीसरी बार अजमेर में पड़ाव के बाद मई 2010 में और चौथा समझौता जनवरी 2011 में रसेरी (पीलूपुरा) आंदोलन के बाद किया था।
अब क्या चाहते हैं गुर्जर
सरकारी नौकरियों में भर्तियां राज्य स्तर पर निकलें। देवनारायण बोर्ड का गठन तुरंत किया जाए। विशेष पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिए बजट घोषणानुसार पैकेज तुरंत लागू किया जाए। इसकी फाइल सीएमओ में ही है। आंदोलन के बकाया मुकदमे भी तुरंत वापस लिए जाएं।
(दैनिक भास्कर से साभार)
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