मूंडिया पैलेस में राज्यभर के 51 गुर्जर प्रतिनिधियों की बैठक में
बैसला ने एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को दी
आंदोलन की चेतावनी
बैसला ने एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर सरकार को दी
आंदोलन की चेतावनी
बैसला ने सरकार से वार्ता के मामले में कहा कि गुर्जर प्रतिनिधी भले ही सरकार से बातचीत करने के लिए जयपुर जा रहे हंै, किन्तु उन्हें इन दीयों में अब तेल दिखाई नहीं पड़ता। बैसला ने कहा कि आरक्षण लेना है तो इसका फैसला 7 जुलाई को होगा। बैठक के दौरान जब कानूनी अडचनों की कुछ वक्ताओं ने बात कही तो आरक्षण संघर्ष समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कै. हरप्रसाद तंवर ने यह कहकर विरोध किया कि उनका समझौता सरकार से हुआ था। कानून अथवा कोर्ट से उनका कोई सरोकार नहीं है। राज्यभर से जो गुर्जर प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित हुए, उन सभी ने सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। दौसा से आए हिम्मत सिंह गुर्जर ने आरक्षण आंदोलन के संबंध में मंत्रीमंडलीय उप समिति और गुर्जर प्रतिनिधियों के साथ संपन्न हुए समझौते के क्रियान्वयन की वर्तमान प्रगति रिपोर्ट साथ प्रस्तुत की। इसके अलावा अलवर के लीलाधर सिंह, दौसा के मनफूल सिंह, दौसा के महेन्द्र सिंह खेडला, जोधपुर के राकेश गुर्जर, किशन सिंह गुर्जर, अजमेर के ओमप्रकाश भडाना, भरतपुर के श्रीराम बैसला, भूरा भगत, राजाराम सरपंच, सवाईमाधोपुर के कप्तान सिंह रेंडायल, छिंगाराम गंगापुरसिटी, करौली के मानधाता सिंह, बंटी भरतपुर, कै. भीमसिंह, ऊदलसिंह पेंचला, प्रहलाद खटाना, जीतू तंवर, कैप्टन जगराम सिंह, बटरू सिंह बैसला, राकेश निवाई, भानु प्रताप गुर्जर, निवाई के रामकेश गुर्जर, भिवाडी के सतपाल सिंह, टीकम सिंह, बंजारा समाज के सुरेश बंजारा, भागीरथ रायका आदि ने कहा कि सरकार तभी जागती है जब कर्नल किरोडी सिंह बैसला का डंडा पड़ता है। गुर्जर प्रतिनिधियों ने कहा कि सरकारें गुर्जरों के सामने उनके ही समाज के लोगों को आगे रखकर धोखाधड़ी का खेल खेल रही है, किन्तु इस बार सभी गुर्जरों को एक होकर सरकार से संघर्ष करना है।
(करौली भास्कर से साभार)
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