हरियाणा. मिट्टी में खेलते समय खींची गई उलटी-सीधी लकीरें एक दिन जीवन का एक मात्र लक्ष्य बन जाएंगी उसने कभी नहीं सोचा था। मिट्टी की जगह कागज ने और उंगलियों की जगह ब्रुश ने ली तो वे लकीरें तस्वीरों में बदलने लगी और देखते ही देखते वह बच्चा एक चित्रकार बन गया। आज उसके बनाए चित्र देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। बचपन के खेल को अपना फन बना लेने वाला यह युवक है हरियाणा के यमुनानगर क्षेत्र के गांव देवधर का रहने वाला जयसिंह गुर्जर।
देवता और महापरुषों के चित्रों में महारत : जयसिंह की खासियत है देवी-देवताओं और महापुरुषों के चित्र। उसकी कूंची से उकेरे गए चित्र मुंह बोलते से लगते हैं। उसका कहना है कि जब तक दिन में कम से कम दो घंटे पेटिंग न कर ले उसे चैन नहीं पड़ता।
आदर्श : जयसिंह गुर्जर अपना आदर्श मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन को मानता है। उसका एक ही मंत्र है, मन में है विश्वास, हम होंगे कामयाब।
तमन्ना : जयसिंह की तमन्ना है कि वह बहुत बड़ा चित्रकार बने। उसके चित्रों को लोग पसंद करें। वह ऐसे चित्र बनाए कि देखने वाले की नजरें टिक कर रह जाएं। तंद्रा जब टूटे तो उसके मुंह से बस यही शब्द निकले, वाह।
आदर्श : जयसिंह गुर्जर अपना आदर्श मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन को मानता है। उसका एक ही मंत्र है, मन में है विश्वास, हम होंगे कामयाब।
तमन्ना : जयसिंह की तमन्ना है कि वह बहुत बड़ा चित्रकार बने। उसके चित्रों को लोग पसंद करें। वह ऐसे चित्र बनाए कि देखने वाले की नजरें टिक कर रह जाएं। तंद्रा जब टूटे तो उसके मुंह से बस यही शब्द निकले, वाह।
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